Bible

Power Up

Your Services with User-Friendly Software

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

1 John 2

:
Hindi - HSB
1 हे मेरे बच्‍चो, मैं ये बातें तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप करो। परंतु यदि कोई पाप करता है, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् यीशु मसीह जो धर्मी है।
2 वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है, और केवल हमारे बल्कि संपूर्ण जगत के पापों का भी।
3 यदि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं तो इससे हम जान जाते हैं, कि हम उसे जान गए हैं।
4 जो कहता है, “मैं उसे जान गया हूँ,” परंतु उसकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता, वह झूठा है, और उसमें सत्य नहीं।
5 परंतु जो कोई उसके वचन का पालन करता है, उसमें सचमुच परमेश्‍वर का प्रेम सिद्ध हो चुका है। इससे हम जान जाते हैं कि हम उसमें हैं।
6 जो यह कहता है कि मैं उसमें बना रहता हूँ, उसे स्वयं भी वैसे ही चलना चाहिए जैसे वह चला।
7 हे प्रियो, मैं तुम्हारे लिए कोई नई आज्ञा नहीं, परंतु वही पुरानी आज्ञा लिख रहा हूँ जो तुम्हें आरंभ से मिली है। यह पुरानी आज्ञा वह वचन है जो तुमने आरंभ से सुना है।
8 साथ ही मैं तुम्हें एक नई आज्ञा लिख रहा हूँ जो उसमें और तुममें सच्‍ची है क्योंकि अंधकार मिटता जा रहा है और सच्‍ची ज्योति अब चमकने लगी है।
9 जो यह कहता है कि मैं ज्योति में हूँ परंतु अपने भाई से घृणा करता है, वह अब तक अंधकार में है।
10 जो अपने भाई से प्रेम रखता है वह ज्योति में बना रहता है और उसमें ठोकर का कारण नहीं।
11 परंतु जो अपने भाई से घृणा करता है, वह अंधकार में है और अंधकार में चलता है, और नहीं जानता कि वह कहाँ जाता है, क्योंकि अंधकार ने उसकी आँखें अंधी कर दी हैं।
12 हे बच्‍चो, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि यीशु के नाम के कारण तुम्हारे पाप क्षमा हुए हैं।
13 पिताओ, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि तुम उसे जान गए हो जो आदि से है। युवको, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि तुमने उस दुष्‍ट पर जय पाई है।
14 बच्‍चो, मैंने तुम्हें इसलिए लिखा क्योंकि तुम पिता को जान गए हो। पिताओ, मैंने तुम्हें इसलिए लिखा क्योंकि तुम उसे जान गए हो जो आदि से है। युवको, मैंने तुम्हें इसलिए लिखा क्योंकि तुम बलवंत हो और परमेश्‍वर का वचन तुममें बना रहता है और तुमने उस दुष्‍ट पर जय पाई है।
15 संसार से प्रेम रखो, और संसार की वस्तुओं से। यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उसमें पिता का प्रेम नहीं है।
16 क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, आँखों की लालसा और धन-संपत्ति का घमंड, वह सब पिता की ओर से नहीं बल्कि संसार की ओर से है।
17 संसार और उसकी लालसाएँ मिटती जाती हैं, परंतु जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है वह सदा बना रहेगा।
18 हे बच्‍चो, यह अंतिम घड़ी है और जैसे तुमने सुना था कि मसीह-विरोधी आने वाला है, वैसे ही अब बहुत से मसीह-विरोधी चुके हैं; इससे हम जानते हैं कि यह अंतिम घड़ी है।
19 वे हममें से निकले पर हमारे नहीं थे; क्योंकि यदि वे हमारे होते, तो हमारे साथ बने रहते। परंतु वे इसलिए निकले कि यह स्पष्‍ट हो जाए कि वे सब हमारे नहीं हैं।
20 परंतु तुम्हारा अभिषेक उस पवित्र के द्वारा हुआ है, और तुम सब यह जानते हो।
21 मैंने तुम्हें यह इसलिए नहीं लिखा कि तुम सत्य को नहीं जानते, परंतु इसलिए कि तुम उसे जानते हो, और इसलिए कि कोई भी झूठ, सत्य की ओर से नहीं।
22 झूठा कौन है? केवल वही जो यह इनकार करता है कि यीशु ही मसीह है। मसीह-विरोधी वही है जो पिता और पुत्र का इनकार करता है।
23 प्रत्येक जो पुत्र का इनकार करता है उसके पास पिता भी नहीं; जो पुत्र को मान लेता है उसके पास पिता भी है।
24 तुमने जो आरंभ से सुना है वह तुममें बना रहे। तुमने जो आरंभ से सुना है, वह यदि तुममें बना रहेगा, तो तुम पुत्र में और पिता में बने रहोगे।
25 जो प्रतिज्ञा उसने स्वयं हमसे की है वह अनंत जीवन है।
26 मैंने ये बातें तुम्हें उन लोगों के विषय में लिखी हैं जो तुम्हें भरमाते हैं।
27 परंतु जहाँ तक तुम्हारा संबंध है, जो अभिषेक तुमने उससे प्राप्‍त किया वह तुममें बना रहता है, इसलिए आवश्यकता नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए। वह अभिषेक सब बातों के विषय में तुम्हें सिखाता है, और वह सत्य है और झूठ नहीं, इसलिए जैसे उसने तुम्हें सिखाया है, उसमें बने रहो।
28 अतः हे बच्‍चो, अब उसी में बने रहो ताकि जब वह प्रकट हो तो हमें साहस हो, और उसके आगमन पर हमें उसके सामने लज्‍जित होना पड़े।
29 यदि तुम जानते हो कि वह धर्मी है, तो यह भी जानते हो कि प्रत्येक जो धार्मिकता का कार्य करता है वह उससे उत्पन्‍न‍ हुआ है।